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अखिल भारतीय पोटलिया महासभा संस्थान
[ विधान (नियमावली) ]


  • संस्था का नाम

    इस संस्था का नाम ’’अखिल भारतीय पोटलिया महासभा संस्थान’’ है व रहेगा।

  • पंजीकृत कार्यालय तथा कार्य क्षेत्र

    इस संस्थान का पंजीकृत कार्यालय द्वारा मूलाराम पोटलिया़ पुत्र श्री गोमाराम जी पोटलिया, 13-14 उद्योग नगर रोड न. 10, 2nd फेज बासनी जोधपुर एवं इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण भारत होगा।

  • सदस्यता

    निम्न योग्यता रखने वाले समाज के व्यक्ति संस्थान के सदस्य बन सकेंगे।

    A. संस्थान के कार्य क्षेत्र में निवास करता हो।

    B. बालिग यानी 21 वर्ष की उम्र प्राप्त करली हो।

    C. पागल व दिवालिया न हो।

    D. भारत का नागरिक हो।

    E. संस्थान के हितों को सर्वोपरी समझता हो।

    F. किसी भी आपराधिक न्यायालय से दण्डित न हो चुका हो।

  • सदस्यों का वर्गीकरण एवं शुल्क

    संस्थान के सदस्य निम्न प्रकार वर्गीकृत होंगे।

    A. संरक्षक सदस्य - 5,100/- (इच्छानुसार)

    B. आजीवन सदस्य - 1,100/-

    C. साधारण सदस्य - 100/-

    साधारण सदस्य वहीं होंगे जो संस्थान के सदस्यता ग्रहण करते समय 100/- रूपये शुल्क जमा करवायेंगे। परन्तु उनका कार्यकाल तीन वर्ष से अधिक नहीं होगा एवं मतदान का अधिकार एकबार कार्यकारिणी के गठन तक सिमित होगा। सदस्यता नवीनीकरण कराने के लिये सदस्य को उस समय लागू साधारण सदस्यता शुल्क देना होगा।

    कार्यकारणी के पदाधिकारियो का चुनाव कार्यकारिणी के सदस्यों दवरा सदस्यों में से ही किया जायेगा ।

  • सदस्यता से निष्कासन

    संस्थान के किसी सदस्य की सदस्यता समापन/निष्कासन प्रक्रिया निम्न होगी -

    A. मृत्यु होने पर

    B. त्याग पत्र देने पर

    C. संस्थान के उद्धेश्यों के विपरीत कार्य करने पर

    D. समय पर सदस्यता शुल्क जमा नहीं करवाने पर

    E. उपरोक्त परिस्थितियों में सचिव की अनुशंषा पर निष्कासन का अधिकार अध्यक्ष को होगा।

    उक्त प्रकार के निष्कासन की अपील 15 दिन के अन्दर अन्दर लिखित में आवेदन करने पर कार्यकारिणी के निर्णय हेतु बैठक आयोजित की जायेगी। जिसमें बहुमत से लिया गया निर्णय अंतिम होगा।

  • साधारण सभा

    संस्थान के नियम संख्या 5 में वर्णित समस्त प्रकार के सदस्य मिलकर साधारण सभा का निर्माण करेंगे।

  • साधारण सभा के अधिकार व कर्तव्य

    साधारण सभा संस्थान की सर्वोतम सभा होगी एवं संस्थान के सम्पूर्ण अधिकार इसमें निहित होंगे। साधारण सभा के अधिकार एवं कर्तव्य निम्न होगे-

    A. कार्यकारिणी का चुनाव करना

    B. वार्षिक बजट पारित एवं आय-व्यय का अनुमोदन करना

    C. कार्यकारिणी द्वारा किये गये कार्यो की समिक्षा करना व पुष्टि करना।

    D. संस्थान के कुल सदस्यों के 2/3 बहुमत से विधान में संशोधन, परिवर्तन अथवा परिवर्धन करना। (जो रजिस्ट्रार के कार्यालय में फाइल कराया जाकर प्रमाणित प्रतिलिपि प्राप्त करने पर लागू होगा।)

    E. संस्थान की सम्पति आदि की सुरक्षा/प्रबन्धन की समिक्षा करना एवं आवश्यकतानुसर निर्देश जारी करना।

    F. समय समय पर कार्यकारिणी को आवश्यक दिशा निर्देश देना।

  • साधारण सभा की बैठकें

    (i) साधारण सभा की बैठक वर्ष में एक बार अनिवार्य रूप से होगी लेकिन आवश्यकता पड़ने पर विशेष बैठक अध्यक्ष की सहमति से सचिव द्वारा कभी भी बुलाई जा सकेगी।

    (ii) साधारण सभा की बैठक का कार्य संस्थान के सदस्यों की कुल संख्या का 1/4 सदस्यों की उपस्थिति में भी सम्पन्न किया जा सकेगा और यदि बैठक के निश्चित समय से आधे घण्टे तक सदस्यों की उपरोक्त गणपूर्ति नहीं होती है तो बिना कुछ किये साधारण सभा विसर्जित कर दी जावेगी।
    परन्तु इस प्रकार विसर्जित होने के बाद बुलाई जाने वाली बैठक की सूचना में यदि यह विशेषतः सूचित कर दिया गया हो कि गत बैठक में सदस्यों की गणपूर्ती न होने के कारण सभा विसर्जित कर दी गई तो उस बैठक के बाद वाली बैठक में गत बैठक के विचारणीय विषय पर निर्णय करने के लिए सदस्यों की गणपूर्ती होने का प्रावधान लागू नहीं होगा।

    (iii) बैठक की सूचना 15 दिन पूर्व व अत्यावश्यक बैठक की सूचना 3 दिन पूर्व दी जायेगी।

    (iv) साधारण सभा के 1/3 अथवा 100 सदस्य इनमें से जो भी कम हो के लिखित आवेदन करने पर अध्यक्ष/सचिव द्वारा 1 माह के अन्दर अन्दर बैठक आहूत करना अनिवार्य होगा। निर्धारित अवधि में अध्यक्ष/सचिव द्वारा बैठक न बुलाये जाने पर उक्त 100 सदस्यों में से कोई भी 3 सदस्य बैठक की तिथि, समय, स्थान एवं विचारणिय बिन्दू का नोटिस जारी कर सकेंगे तथा इस प्रकार की बैठक में होने वाले निर्णय वैधानिक व सर्वमान्य होंगे।

  • कार्यकारिणी का गठन

    संस्थान के कार्य को सुचारू रूप से संचालित के लिए एक कार्यकारिणी का गठन किया जायेगा, जिसके पदाधिकारी व सदस्य निम्न प्रकार के होंगे -

    1. संरक्षक - चार

    2 अध्यक्ष - एक

    3. कार्यकारी अध्यक्ष - एक

    4. उपाध्यक्ष - तीन

    5. महासचिव - दो

    6. सचिव - एक

    7. संहसचिव - खेल, संस्कृतिक, पर्यावरण, शिक्षा, कृषि, शोशल मिडिया, मिडिया सलहकार व लीगल एडवाइज़र

    8. कोषाध्यक्ष - एक

    9. संगठन मंत्री - एक

    10. सदस्य - ग्रामपंचायत वाइज़

    11. निवृतमान अध्यक्ष एवं सचिव अगले कार्यकाल के लिये पदेन सदस्य होंगे।

    12. सहवृत सदस्य - कार्यकारिणी द्वारा प्रथम बैठक में 10 सदस्यों का सहवरण किया जायेगा जिनमें मुख्य रूप से समाज के गाँवों के सरपंच मेंबर पंचायत जिला परिषद्े अध्यक्ष /जिलाप्रतिनिधि /दो महिला सदस्य होंगे।

    13. अध्यक्ष को आवश्यकतानुसार चार अन्य सदस्यों को कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में बुलाने का अधिकार होगा। सभी संरक्षक कार्यकारिणी के स्थाई सदस्य होंगे परन्तु मताधिकर नहीं होगा।

  • कार्यकारिणी का गठन/निर्वाचन

    (i) संस्थान की कार्यकारिणी का चुनाव दो वर्ष की अवधि के लिए साधारण सभा के सदस्यों द्वारा किया जायेगा।

    (ii) चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली द्वारा किया जायेगा।

    (iii) चुनाव अधिकारी की नियुक्ति कार्यकारिणी द्वारा की जायेगी।

    (iv) कार्यकारणी के चुनाव के दौरान 2 से 3 पदाधिकारी बदले जायेगे ।

  • कार्यकारिणी के अधिकार और कर्तव्य

    संस्थान की कार्यकारिणी के अधिकार व कर्तव्य निम्नलिखित होंगे -

    1. सदस्य बनाना/निष्कासित करना

    2. वार्षिक बजट एवं वार्षिक लेखा तैयार करना व साधारण सभा से अनुमोदन करवाना एवं उसके अनुसार कार्य करवाना

    3. वार्षिक बजट समय पर साधारण सभा से पारित न होने की स्थिति में आवश्यक व्यय हेतु अंतिम राशि कार्यकारणी स्वीकृत कर सकेगी परन्तु साधारण सभा से छः माह से पूर्व अनुमोदन आवश्यक होगा

    4. संस्था की सम्पति की सुरक्षा एवं प्रबन्धन करना

    5. वैतनिक/अवैतनिक कर्मचारियों की नियुक्ति करना तथा उनके आवश्यकतानुसार वेतन भतो का निर्धारण करना एवं सेवा मुक्त करना

    6. साधारण सभा द्वारा पारित निर्णयों को क्रियान्वित करना

    7. कार्य व्यवस्था हेतु समितियां/उप समितियां का गठन करना।

    8. संस्थान के लक्ष्यों और उद्धेश्यों को प्राप्त करने के लिए दान, अनुदान, उपहार भेंट और चल और/या अचल सम्पतियायों के रूप में अन्य सहायता स्वीकार करना।

    9. उक्त संस्था की सम्पूर्ण सम्पतिया या भवन या उसके किसी भाग को खड़ा करना, निर्माण करना, परिवर्तित करना, रख रखाव करना, पट्टे पर देना, बन्धक रखना, सुधार करना/विकसित करना, उसका प्रबन्धन या नियंत्रण करना जो कि संस्थान के लक्ष्यों और उद्धेश्यों को पूरा करने के प्रयोजनार्थ आवश्यक और सुविधाजनक प्रतीत हो।

    10. संस्था के लक्ष्यों और उद्धेश्यों के उत्थान और पूर्ति के लिए संस्थान के नाम से भूमि और/या भवन क्रय करना/लीज या किराये पर लेना व अर्जित करना।

    11. ऐसे अन्य समस्त कार्य या क्रियाकलाप करना जो आधुनिकम परिस्थितियों में आवश्यक हो और संस्थान के उद्धेश्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक और सहायक हों।

    12. संस्थान की सम्पूर्ण आय, अर्जन, चल या अचल सम्पतियायां केवल सोसाईटी के विधान में दिये गये लक्ष्यों और उदेश्यों की प्राप्ति में प्रयुक्त की जायेंगी और उपभोग में ली जायेगी। किसी भी अर्जित लाभ का सोसाईटी के वर्तमान या भूतपूर्व सदस्यों या किसी एक या एकाधिक वर्तमान या भूतपूर्व सदस्यों के माध्यम से मांग करने वाले किसी भी व्यक्ति को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से लाभांश, बोनस, लाभ या किसी भी रीति से भुगतान नहीं किया जायेगा।
    रणनीति - उपरोक्त उद्धेश्यों की प्राप्ति हेतु समय समय पर बैठकें आयोजित/आहूत करना, सम्मेलन, विचार गोष्ठी रखना, प्रदर्शनी तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन करना तथा स्वेच्छिक वित्तीय सहायता प्राप्त करना।

    13. संरक्षक/आजीवन एवं साधारण सदस्यों की सदस्यता की विधानानुसार जांच एवं निर्णय करना।

    14. अन्य कार्य जो संस्था के हितार्थ हो, करना

    15. वित्तीय प्रबंधन करना - बैंक खातों का प्रबन्धन एवं आवश्यकता होने पर बैंक से ऋण लेना एवं लेखो का निर्धारण करना।

    16. नियम 10 के उपनियम 9 के अनुसार आवश्यक सदस्यों का कार्यकारिणी हेतु मनोनयन करना।

  • कार्यकारिणी की बैठकें

    1. कार्यकारिणी की वर्ष में कम से कम दो बैठके अनिवार्य होगी। लेकिन आवश्यकता होने पर बैठक अध्यक्ष के सहमति से कभी भी बुलाई जा सकेगी।

    2. बैठक का कोरम कार्यकारिणी की कुल सदस्यों का 1/2 या नौ सदस्य जो भी कम होगा माना जायेगा।

    3. बैठक की सूचना प्रायः 7 दिन पूर्व दी जावेगी परन्तु विशेष बैठक की सूचना परिचालन से कम समय में भी दी जा सकती है।

    4. कोरम के अभाव में बैठक स्थगित की जा सकेगी जो पुनः दूसरे दिन निर्धारित स्थान व समय पर होगी। ऐसी स्थगित बैठक में कोरम पांच का अवश्यक होगा। लेकिन विचारणीय विषय वहीं होगे जो पूर्व एजेण्डा में थे। ऐसी स्थगित बैठक में उपस्थित सदस्यों के अतिरिक्त कार्यकारिणी के कम से कम दो पदाधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य होगी। इस सभा की कार्यवाही की पुष्टि आगामी आम सभा में कराना आवश्यक होगा।

    5. कार्यकारिणी के निर्णय बहुमत से होगे। अध्यक्ष को किसी प्रस्ताव पर मत विभाजन में समान मत आने पर निर्णायक मत देने का अधिकार होगा।

  • कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के अधिकार व कर्तव्य

    संस्थान की कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के अधिकार व कर्तव्य निम्न प्रकार होगे -

    (A) अध्यक्ष

    1. बैठको की अध्यक्षता करना

    2. मत बराबर आने पर निर्णायक मत देना

    3. बैठक आहूत करना

    4. संस्था का प्रतिनिधित्व करना

    5. संविदा तथा अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करना

    6. बजट के अतिरिक्त 1 लाख तक व्यय करने का अधिकार होगा। बाद में ऐसे व्यय को कार्यकारिणी द्वारा संपुष्टि करना आवश्यक होगा।

    7. कर्मचारियों की नियुक्ति सचिव की सलाह से करना।

    (B) कार्यकारी अध्यक्ष

    1. अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष के समस्त अधिकारों का प्रयोग करना।

    2. कार्यकारिणी द्वारा प्रदान अन्य अधिकारों का उपयोग करना।

    (C) उपाध्यक्ष

    1. अध्यक्ष एवं कार्यकारी अध्यक्ष दोनो की अनुपस्थिति में उनके समस्त अधिकारों का उपयोग करना।

    (D) महासचिव

    1. अध्यक्ष की आज्ञा से आयोजित बैठकों का संचालन करना।

    2. अध्यक्ष की आज्ञा से संस्थान द्वारा संचालित विभिन्न कार्यकर्ताओ की देखरेख करना।

    (E) सचिव

    1. अध्यक्ष की आज्ञा से बैठकें आहूत करना

    2. बैठकोें की कार्यवाही लिखना तथा रिकार्ड रखना

    3. आय व्यय पर नियंत्रण करना

    4. वैतनिक कर्मचारियों पर नियंत्रण करना तथा उनके वेतन व यात्रा बिल आदि पास करना।

    5. संस्था का प्रतिनिधित्व करना व कानूनी दस्तावेजों पर संस्था की ओर से हस्ताक्षर करना

    6. पत्र व्यवहार करना

    7. सम्पति की सुरक्षा हेतु वैधानिक अन्य कानूनी कार्य जो आवश्यक हो करना

    (F) कोषाध्यक्ष

    1. वार्षिक बजट एवं वार्षिक लेखा जोखा तेयार करना एवं कार्यकारिणी के निर्देशानुसार समय समय पर लेखो का अनुमोदन करवाना।

    2. दैनिक लेखों पर नियंत्रण रखना

    3. चन्दा/शुल्क/अनुदान आदि प्राप्त करना तथा रसीद देना।

    4. बैंक खातों एवं नकद राशि का प्रबन्धन अध्यक्ष एवं सचिव के निर्देशानुसार करना।

    5. अन्य प्रदान कार्य सम्पन्न करना।

    (G) संहसचिव

    1. सचिव की अनुपस्थिति में सचिव के सभी कार्यो का संचालन करना।

  • (H) क़ानूनी सलाहकार

    1. संस्थान के समस्त प्रकार के न्यायिक कार्यों की देखरेख करना।

  • संस्थान का कोष

    संस्थान का कोष निम्न प्रकार से संचित होगा -

    1. (i) चन्दा (ii) अनुदान (iii) सदस्यता शुल्क (iv) चल/अचल सम्पति से अर्जित काय (v) सहायता (vi) राजकीय अनुदान (vii) किसी बैंक या वित्तीय संस्था से प्राप्त ऋण।

    2. उक्त प्रकार से संचित राशि किसी बैंक में सुरक्षित रखी जायेगी।

    3. अध्यक्ष/सचिव/कोषाध्यक्ष में से किन्ही दो पदाधिकारियों के संयुक्त हस्ताक्षरों से बैंक में लेन-देन संभव होगा। परन्तु अध्यक्ष के हस्ताक्षर आवश्यक होगे।

  • कोष संबंधि विशेषाधाकार

    नियम 8 के उपनियम 2, नियम 12 के उपनियम 3 एवं नियम 14 के उपनियम 6 के अनुसार संस्थान के हित में तथा कार्य व समय की आवश्यकतानुसार अध्यक्ष व सचिव स्वीकृत राशि का व्यय कर सकेंगे।

  • संस्थान का अंकेक्षण

    संस्थान के समस्त लेखा जोखा का वार्षिक अंकेक्षण कराया जायेगा व अंकेक्षक की नियुक्ति कार्यकारिणी द्वारा की जायेगी।

  • संस्थान के विधान में संशोधन

    संस्थान के विधान में आवश्यकतानुसार साधारण सभा के सदस्य 2/3 बहुमत से संशोधन किया जा सकेगा जो राजस्थान संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम 1958 की धारा 12 के अनुरूप होगा।

  • संस्थान का विघटन आवश्यक हुआ तो

    संस्थान की समस्त चल व अचल सम्पति समान उदेश्य वाली संस्था को साधारण सभा के अनुमोदन से हस्तान्तरित की जा सकेगी। लेकिन उक्त समस्त कार्यवाही राजस्थान संस्था रजिस्ट्रकरण अधिनियम 1958 की धारा 13 व 14 के अनुरूप होगी अथवा आयकर अधिनियम 1961 की धारा 12 ।। के तहत पंजीकृत संस्था को होगी।

  • नोट:- संस्थान संबंधित किसी भी मतभेद की स्थिति में इसका न्याय क्षेत्र केवल जोधपुर शहर रहेगा।

    प्रमाणित किया जाता है कि उक्त विधान (नियमावली) ’’अखिल भारतीय पोटलिया महासभा संस्थान ’’ जोधपुर की सही व सच्ची प्रति है।

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    संस्था के उदेश्य


    • राष्ट्र के अभिभ अंग के रूप में समाज के हितों के लिये कार्य करना एवं सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, नैतिक इत्यादि सर्वांगीण उन्नति हेतु कार्य करना।

    • समाज के उत्थान/विकास के लिए निचले स्तर से एक संगठनात्मक ढ़ाँचा तैयार करना जो त्री - स्तरीय होगा -

      1.तहसील ईकाई 2. जिला स्तरीय 3. समभाग स्तरीय 4. राज्य स्तरीय

      भविष्य में तहसील व जिला इकाईयो के गठन के नियम आवश्यकतानुसार साधारण सभा द्वारा बनाये जायेंगे व साथ ही सदस्यों की संख्या आधार पर ग्राम इकाई भी गठित करने के नियम साधारण सभा बना सकेगी।

    • पोटलिया परिवार की पंजीकृत/अपंजीकृत संस्थाओं के साथ सहयोग करना एवं लेना।

    • पुरातन समय से चली आ रही सामाजिक व्यवस्था को सुचारू संचालन के कार्य करने वाले समाज के गांव/शहर ें के साथ समन्वय स्थापित करना।

    • समाज को सुसंगठित करना एवं आपसी मेलजोल एवं सद्भाव बढ़ाना।

    • समाज की मान मर्यादा, गौरव एवं संस्कृति के विकास एवं रक्षा हेतु कार्य करना एवं उसका प्रतिनिधित्व करना।

    • समाज में व्याप्त कुरीतियां जैसे मृत्यु भोज, ओढ़ावणी, बाल विवाह, दहेजप्रथा, आदि के उन्मूलन एवं प्रगतिमूलक उद्धेश्यों की प्राप्ति में नई रीतियों का समन्वय करना।

    • संस्था के सदस्यों एवं आम जन के बीच भाईचारा, सहकारिता, परस्पर सद्भाव स्नेह और अपनत्व की भावना पैदा करना।

    • समाज के विद्यमान संस्थानों, छात्रावासो, आश्रमों, धर्मशालाओं, मंदिरों और अन्य संस्थानों को संरक्षित करना एवं नये संस्थानों का निर्माण करना, परिवर्धित करना, उनका समुचित रख रखाव करना, उनमें सुधार करना, उनका विकास करना एवं आवश्यकतानुसार प्रबन्धन में सहयोग करना।

    • समाज के युवाओं एवं अन्य के शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक, शैक्षिक कोशल उत्थान या इसके विकास के लिए किसी भी संस्था या विद्यालय या संघ को सहायता देना या स्थापित करना या सहयोग करना साथ ही आावश्यकतानुसार शिक्षा हेतु विद्यालय, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय या समकक्ष संस्थाओं का गठन एवं प्रबंधन करना।

    • ऐसे जरूरतमंद व्यक्तियों, जो अन्यथा अक्षम या विकलांग है या मानसिक या शारीरिक रूप से कमजोर है, के जीवन उपयोगी दवाईयों के साथ साथ आर्थिक सहायता प्रदान करना और निर्धन वर्ग के किसी भी व्यक्ति के उत्थान के लिए वित्तीय व्यवस्था और प्रबन्धन करना।

    • समाज के किसी भी अविवाहित लड़की या लड़के, विधवा या विदुर के जीवन के उत्थान के लिए आवश्यकतानुसार समय समय पर सामाजिक, नैतिक और वित्तीय सहायता देना।

    • आध्यात्मिक अध्ययन की अभिवृद्धि करना और आम लोगों के लिए आध्यात्मिक प्रशिक्षण और योग केन्द्र खोलना।

    • उन क्षेत्रों में जो अकाल, आग, बाढ़, भूकम्प आदि जैसी प्राकृतिक आपदाओं से ग्रस्त है या हो गये हैं, सहायता करना और अन्य सहयोग करना। संस्थान राज्य/केन्द्र द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं के लिये सहयोग करना।

    • समाज के छात्रों/लोगों के उपयोग और सुविधा के लिए छात्रावासों, पुस्तकालय, वाचनालय स्थापित करना एवं प्रबन्धन करना।

    • शिक्षा/खेल व अन्य क्षेत्र में विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए विद्यालय, महाविद्यलाय, विश्वविद्यालय स्तर पर विशेष योग्यता प्राप्त करने पर पुरस्कार, पदक और अन्य सम्मान देना। समाज के प्रतिभाशाली छात्र छात्रा को छात्रवृŸिा प्रदान करना।

    • समाज के विवाह योग्य युवक युवतियों के लिय सामुहिक विवाह एवं युवा परिचय सम्मेलन आयोजित करना।

    • राष्ट्रीय, सांस्कृतिक, सामाजिक और अन्य त्यौहारों और जयन्तियों जो संस्थान के उद्धेश्यों के पूरक हो, के आयोजन के लिए सहायता करना, उनका प्रबन्धन करना और प्रोत्साहित करना।

    • बालिका एवं महिला शिक्षा के लिए विशेष कार्य करना-छात्रावास स्थापित करना, व प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रबंधन करना एवं कार्यरत महिलाओं के लिए आवास प्रबंधन करना।

    • सांस्कृतिक, सामाजिक, कृषि व संस्थान के अन्य उदेश्यों की पूर्ति हेतु शोध करवाना व प्रोत्साहित करना।

    • संस्थान के उदेश्यों व शोध, इतिहास संबंधि लेखन करवाना व प्रचार प्रसार हेतु पत्र पत्रिकाओं व पुस्तकों का प्रकाशन करवाना।

    • चिकित्सा व स्वास्थ्य सेवा हेतु शिविर आदि आयोजित करवाना।

    • नशा उन्मूलन हेतु विशेष कार्य करना व नशा प्रवृति की रोकधाम हेतु समाजिक जाग्रति अभियान चलाना।

    • समाज के किसी भी शहीद के परिवार का सम्मान करना एवं आवश्यकतानुसार संस्थान द्वारा सहयोग/सहायता करना।

    • किसान हितेसी योजनाओ को लागु करना जैसे कर्सक उत्पादन संगठन उन्नत बीज जैविक खेती उन्नत करसि उपकरण।

    • शहरी छेत्र के नजदीक सर्व सुविधा सम्पन पारिवारिक कॉलोनी विकसित करना ।

    • नोट :- यह संस्था राजनैतिक, साम्प्रदायिक संस्थाओं से बिल्कुल अलग रहेगी तथा सदैव समाज कल्याण व परोपकार की भावना से ही सेवा कार्य करेगी - धनोपार्जन इसका ध्येय नहीं होगा।

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